भारत सदियों से खेतिहर देश रहा है। पहले यहां शत-प्रतिशत लोग गांवों में ही रहा करते थे। ये लोग पूरी तरह से खेती पर निर्भर रहा करते थे। उस समय खेती पशुओं पर पूरी तरह से निर्भर हुआ करती थी। इसके अलावा जब मुद्रा का चलन नहीं था तब भी किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का माध्यम पशुपालन ही हुआ करता था। उस समय दूध,घी, दही, मक्खन के लिए गाय,भैंस,बकरी,ऊंट, आदि का पालन किया जाता था। खेती के कामों के लिए बैल ही मुख्यत: पाले जाते थे। माल ढोने के लिए भैंसा, ऊंट, घोड़ा, गधा, खच्चर आदि को पाला जाता था। इसके अलावा मधुमक्खियां तो सदैव से किसान की साथी रहीं हैं। उस समय लोग पालते नहीं थे। कुदरती उपहार के रूप में मधुमक्खियां अपना छत्ता पेड़ों पर लगा लेतीं थीं। जिससे निकलने वाले शहद को गांव में लोग आपस में बांट लिया करते थे । वैद्यों को इलाज के लिए शहद दिया जाता था। पहले जमाने में हमारा पशुपालन व्यवसाय इस तरह से चला करता था। उस समय पशुओं का काफी महत्व भी था, जो आजकल नहीं रहा। अब जमाना बदल गया है। आज के जमाने में मछली, चिड़िया, तोता, मैना, खरगोश, कुत्ता आदि पक्षियों व जीव जन्तुओं का व्यवसाय भी पशुपालन के कारोबार से जुड़ गया है।

मशीनों के जानवरों का महत्व कम कर दिया

आज हम कम्प्यूटर युग में जी रहे हैं। आज जिधर देखो उधर मशीनों की भरमार हो गयी है। आज हर चीज आसान हो गयी है। मशीनी युग में आज खेती करना भी बहुत ही आसान और अधिक आमदनी देने वाली हो गयी है। मशीनों के आ जाने के कारण खेती में पशुओं का महत्व खत्म सा हो गया है। जहां पहले बैलों के बिना खेती की कल्पना तक नहीं की जा सकती थी। तब बैलों की कीमत सबसे ज्यादा होती थी। जिसके घर में गाय ने बछड़े को जन्म दे दिया तो वहां उतनी ही खुशी मनायी जाती थी जितनी कि परिवार में एक बेटे के पैदा होने पर मनायी जाती थी। यहां तक कि बछड़े के जन्म पर गांव में आसपास के लोगों का मुंह भी मीठा कराया जाता था।

पशुओं की नई नस्ले हैं बहुत फायदेमंद

अब तो पशुओं में यदि सबसे ज्यादा दुर्दशा किसी है तो वह बछड़े और बैल की है। जब से खेती के काम के लिए ट्रैक्टर व कृषि यंत्र आ गये हैं तब से बैलों का महत्व ही खत्म हो गया है। दूसरा पहले जैसी गायें भी नहीं रह गयीं हैं। देशी व अमृतसरी गाय की जगह जर्सी गायें आ गयीं हैं। ये शकल से देखने में तो गायें लगतीं है लेकिन हकीकत में दूध देने वाली मशीनों के समान हैं। वैज्ञानिकों ने अनेक शोध करके गायों को दूध की मशीन तो बना दिया है लेकिन न तो उनके दूध में दम रहा और न ही उनसे पैदा होने वाले बछड़ों में ही दम रहा। यही हाल भैंस का है। आज की तारीख में दूध के पेशेवर लोग बछड़े व भैंसे को तो बचपन में दूध नहीं पीने देते हैं। पहले दूध दुहने से पहले ही कह दिया जाता था कि बछड़े के हिस्से का दूध गाय के थन में छोड़ना है। लेकिन अब जमाना बदल गया है। पेशेवर पशुपालक गाय व भैंस के थन में बच्चे के लिए जरा सा भी दूध नहीं नहीं छोड़ते। उन्हें लगता है कि इन बच्चों को जितना दूध पिलायेंगे उतने में तो उन्हें अच्छी खासी रकम मिल जायेगी।

अब बदल गयी है पशुपालन की परम्परा

पशुपालन के व्यवसाय में समय के साथ काफी बदलाव आया है। पहले पशु मानवीय खान-पान एवं अन्य इस्तेमाल के लिए गाय भैंस, ऊंट, घोड़े, बकरी, मुर्गी, सुअर भेड़ आदि पाले जाते थे लेकिन अब मानवीय जरूरतों के बढ़ने और नई-नई खोज के बाद इन समस्त पशुओं के अलावा गधा, खच्चर, खरगोश, मधुमक्खी आदि भी पशुपालन व्यवसाय का हिस्सा बन गये हैं। अब लोगों को खान-पान के अलावा प्रोटीन व औषधि में भी पशुओं के प्रोडक्ट का अधिक इस्तेमाल होने लगा है। पशुपालन का महत्व अब पहले से बढ़ गया है लेकिन अन्तर यह हो गया है कि पहले जहां पशु खेती और इंसानी जीवन की जरूरतों के लिए पाले जाते थे। अब पशुओं को केवल व्यवसाय के लिए पाला जाता है। इसलिये पहले जहां बैल और घोड़े की कीमत अधिक होती थी वहीं अब गाय, भैंस की कीमत अधिक होती है।

बहुत अच्छा स्कोप है पशुपालन के व्यवसाय का

भारत में पशुपालन व्यवसाय का बहुत ही अच्छा स्कोप है। यहां पशुपालन व्यवसाय करना बहुत आसान है। इस व्यवसाय को छोटे व बड़े स्तर दोनों ही तरीकों से किया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति के पास घर के पीछे खाली जगह है तो वहां से भी पशुपालन का व्यवसाय किया जा सकता है। बड़े स्तर पर एनिमल फार्म भी खोले जा सकते हैं। भारत में पशुपालन से संबंधी मार्केट का बहुत अधिक विस्तार हो गया है। आजकल पशुओं के अंगों को भी प्रोटीन, पोषक पदार्थों व अन्य औषधीय आवश्यकताओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिये पशुओं के शरीर का केवल मांसाहार में ही इस्तेमाल नहीं किया जाता बल्कि कई अन्य व्यवसायिक जरूरतों में ही प्रयोग किया जाता है। इस कारण पशुपालन व्यवसाय केवल महत्वपूर्ण ही नहीं हो गया है बल्कि बहुत अधिक फायदेमंद वाला भी हो गया है। क्योंकि आज की मार्केट में दुधारू गाय व भैंस की कीमत आसमान पर चल रहीं हैं। जितनी ज्यादा कीमत उतना ही ज्यादा फायदा होता है। इसलिये पशुपालन के बिजनेस का आइडिया बहुत अच्छा है।

सफल लाइव स्टॉक फार्मिंग बिजनेस शुरू करने से पहले किन-किन खास बातों पर विचार करना चाहिये, जानते हैं। प्रत्येक तरह के बिजनेस के लिए कुछ न कुछ खास तरह की पहले से तैयारी यानी होमवर्क करना पड़ता है। उसी तरह से लाइव स्टॉक फार्मिंग बिजनेस के लिए भी अनेक तैयारियां करनीं होतीं हैं एवं बिजनेस मैन में कई योग्यताएं होनी भी जरूरी हैं। यह बिजनेस अन्य तरह की बिजनेस से थोड़ा अलग हटकर है। आइये जानते हैं कि पशुओं के फार्म बनाने के लिए किन-किन बातों की खास जरूरत होती है।

1. सबसे पहले तो बिजनेस मैन को पशुओं के बारे में बहुत अच्छी जानकारी होनी चाहिये। पशुओं की नस्लें, खान-पान, जीवनचक्र आदि की गहन जानकारी ही इस बिजनेस को सफल बनाने का सबसे बड़ा मूलमंत्र है।

2. बिजनेस मैन को पशुओं के विज्ञान के साथ ही उनके उपचार यानी पशु चिकित्सा के बारे में भी आवश्यक जानकारी होनी चाहिये ताकि कोई पशु बीमार हो जाये तो वो उसका उपचार करके उसका जीवन बचा सके। अन्यथा बाहरी उपचार के भरोसे पशु के असमय मरने से व्यापारी को अच्छा खासा नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

3. व्यवसायी को पशुओं से जुड़ी तमाम जानकारी व अनुभवों के अलावा व्यापार की भी समझ होनी चाहिये। यानी व्यापार कैसे किया जाता है, इसकी भी जानकारी जरूरी है। वो अपने व्यापार के लिए वित्तीय प्रबंधन, व अन्य व्यापारिक कार्यों को आसानी से सम्पन्न कर सकता है या नहीं।

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